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भिंडी की खेती

ऐसे उगाएंगे भिंडी या लेडी फिंगर, तो रुपया गिनते-गिनते थक जाएंगी फिंगर्स !

ऐसे उगाएंगे भिंडी या लेडी फिंगर, तो रुपया गिनते-गिनते थक जाएंगी फिंगर्स !

मार्केट हो या फिर भोजन की थाली, ऑल सीजन फेवरिट वेजिटेबल की यदि बात करें, तो लेडी फिंगर (lady finger) यानी भिंडी इस मामले में खास मुकाम रखती है। भिंडी या लेडी फिंगर उगाने की एक खास विधि ऐसी है जिसे अपनाकर, भिंडी की बंपर पैदावार से होने वाली कमाई को गिनते-गिनते किसान की फिंगर्स दर्द कर सकती हैं। यह विधि ऐसी है, जिससे भिंडी की खेती करने वाले किसानों को जबरदस्त मुनाफा हो रहा है। पारंपरिक एवं आधुनिक खेती के संतुलित सम्मिश्रण के कारण किसानों की इनकम में भी सुधार हुआ है। जैविक खाद, कृषि वैज्ञानिकों की सलाह, मशीनों की मदद, बाजार की सुलभता के कारण किसानों (Farmers) को अब पहले के मुकाबले ज्यादा लाभ मिल पा रहा है।

यूपी की मिसाल

यूपी यानी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हरदोई जिले में ताजातरीन वैज्ञानिक विधि को अपनाने से भिंडी की खेती में बेहतरीन पैदावार देखने को मिली है।

उद्यान विभाग का रोल

यहां उद्यान विभाग की तरफ से किसानों को कृषि गुणवत्ता वाली विधियों को अपनाकर खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।



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जिले के किसानों के अनुसार, गेहूं और धान की खेती की बहुतायत वाले क्षेत्र में किसान अब मुख्य फसलों के साथ ही सब्जी की खेती के लिए भी उन्मुख हो रहे हैं। इसका कारण मुख्य फसल को लगाने, देखभाल करने, पकने और फिर बाजार में बेचने में लगने वाला अधिक समय है। इंतजार लंबा होने के कारण किसान अब कम समय में सब्जी की अच्छी पैदावार से ज्यादा पैसा कमाने का मन बना रहे हैं। दीर्घकालिक फसलों पर कभी कम बारिश, कभी तेज आंधी-पानी और ओलावृष्टि से आने वाले संकट के कारण किसानों ने अपने खेत के कुछ हिस्से में वैकल्पिक खेती के तौर पर सब्जी उगाने का निर्णय किया है। किसानों के अनुसार इस फैसले से उनको 3 लाख रुपए का मुनाफा भी अर्जित हुआ। किसानों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित एक कृषि मेले में उन्हें भिंडी की खेती और उसके बीजों के विषय में विस्तृत जानकारी मिली थी। इस जानकारी ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि वे भिंडी की खेती करने के लिए और ज्यादा जानकारी जुटाने लगे।



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कृषि विभाग स्थित कृषि विज्ञान अनुसंधान केंद्र ने इन किसानों की जिज्ञासाओं का न केवल समाधान किया, बल्कि खेत का मुआयना भी किया। मिट्टी की जांच कराने के बाद किसानों को कृषि विभाग ने भिंडी लगाने, उसकी देखभाल करने के साथ ही उम्मीद के अनुसार पैदावार करने के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान कीं।

3 लाख की बचत

इलाके के किसान श्रीकृष्ण ने प्रेरित होकर बतौर ट्रायल पहले अपने 1 एकड़ खेत में भिंडी की खेती शुरू की थी। उनके अनुसार इस भिंडी की पैदावार से उन्हें लगभग तीन लाख रुपयों की बचत हुई। इस सफलता के बाद श्रीकृष्ण ने धीरे-धीरे अपने पूरे खेत में भिंडी की खेती करनी शुरू कर दी। अपने अनुभव से वे बताते हैं कि भिंडी की यदि वैज्ञानिकों बताए गए तरीके से खेती की जाए तो 1 एकड़ से लगभग 5 लाख रुपए तक की कमाई की जा सकती है।

कमाई का सूत्र

जिले के सहायक उद्यान निरीक्षक ने ड्रिप इरीगेशन विधि को भिंडी की सेहत के लिए अति महत्वपूर्ण बताया है। उनके मुताबिक सब्जियों की इस तरह से सिंचाई से मुनाफा कई गुना बढ़ जाता है।



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यहां किसान ऊंची क्यारियां बनाकर भिंडी की खेती करते हैं। ऐसा करने से वर्षा काल में यह क्यारियां खरपतवार और जलभराव से पौधों की रक्षा करती हैं। इससे भिंडी की अच्छी पैदावार होती है।

प्रेरित हो रहे किसान

श्रीकृष्ण को हुए लाभ से प्रभावित होकर जिले के अन्य किसान भी अब बड़ी संख्या में भिंडी की खेती के लिए आगे आए हैं।

उत्पादन का गणित

भिंडी की खेती से जुड़े अनुभवी किसानों के अनुसार 1 एकड़ भूमि पर करीब 45 से 50 दिनों में लगभग 50 क्विंटल भिंडी की पैदावार हो जाती है। जिले में सब्जियों की खेती के लिए किसानों को सब्सिडी के साथ-साथ सरकारी मदद भी दी जाती है। इससे किसान, वैज्ञानिक विधि से सब्जी की खेती करके अपनी आय में न केवल सुधार कर रहे हैं, बल्कि उनकी आमदनी की सफलता दूसरे किसानों के लिए भी मिसाल बन रही है।
फरवरी माह में भिंडी की इन किस्मों का करें उत्पादन मिलेगा बेहतरीन लाभ

फरवरी माह में भिंडी की इन किस्मों का करें उत्पादन मिलेगा बेहतरीन लाभ

फरवरी का महीना चल रहा है और इस माह में किसानों को अपनी आय को बढ़ाने के लिए भिंडी की इन टॉप 5 उन्नत किस्मों की खेती करनी चाहिए। जो कम वक्त में शानदार उपज देने में सक्षम हैं। भिंडी की यह किस्में अर्का अनामिका, पंजाब पद्मिनी, अर्का अभय, पूसा सावनी और परभनी क्रांति है। किसान अपनी आय को बढ़ाने के लिए खेत में सीजन के मुताबिक फल व सब्जियों का उत्पादन करते हैं। इसी कड़ी में आज हम देश के कृषकों के लिए भिंडी की टॉप 5 उन्नत किस्मों की जानकारी लेकर आए हैं। हम जिन भिंडी की उन्नत किस्मों की बात कर रहे हैं, वह पूसा सावनी, परभनी क्रांति, अर्का अनामिका, पंजाब पद्मिनी और अर्का अभय किस्म है।

ये समस्त किस्में कम वक्त में शानदार उपज देने में सक्षम हैं। बतादें, कि भिंडी की इन किस्मों की बाजार में वर्षभर मांग बनी रहती है। भारत के कई राज्यों में भिंडी की इन किस्मों का उत्पादन किया जाता है। भिंडी की इन टॉप 5 उन्नत किस्मों में विटामिन,फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और मिनरल्स के साथ-साथ मैग्नीशियम, फास्फोरस, आयरन, कैल्शियम और पोटैशियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है।

भिंडी की शानदार 5 उन्नत किस्में निम्नलिखित हैं 

भिंडी की पूसा सावनी किस्म - भिंडी की यह उन्नत किस्म गर्मी, ठंड और बारिश के मौसम में सुगमता से उत्पादित की जा सकती है। भिंडी की पूसा सावनी किस्म बारिश के मौसम में लगभग 60 से 65 दिन के समयांतराल में तैयार हो जाती है। 

भिंडी की परभनी क्रांति किस्म- भिंडी की इस किस्म को पीता-रोग का प्रतिरोध माना जाता है। अगर किसान इनके बीज खेती में लगाते हैं, तो यह करीब 50 दिनों के समयांतराल पर ही फल देने लगते हैं। बतादें, कि परभनी क्रांति किस्म की भिंडी गहरे हरे रंग की होती है। साथ ही, इसकी लंबाई 15-18 सेमी तक की होती है।

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भिंडी की अर्का अनामिका किस्म- यह किस्म येलोवेन मोजेक विषाणु रोग से लड़ने में काफी सक्षम है। इस किस्म की भिंडी में रोए नहीं पाए जाते। साथ ही, इसके फल काफी ज्यादा मुलायम होते हैं। भिंडी की यह किस्म गर्मी और बारिश दोनों ही सीजन में शानदार उत्पादन देने में सक्षम है।

भिंडी की पंजाब पद्मिनी किस्म- भिंडी की इस किस्म को पंजाब विश्वविद्यालय के द्वारा विकसित किया गया है। इस किस्म की भिंडी एक दम सीधी और चिकनी होती है। साथ ही, यदि हम इसके रंग की बात करें, तो यह भिंडी गहरे रंग की होती है।

भिंडी की अर्का अभय किस्म- यह किस्म येलोवेन मोजेक विषाणु रोग से लड़ने में सक्षम है। भिंडी की अर्का अभय किस्म खेत में लगाने से कुछ ही दिनों में अच्छा उत्पादन देती है। इस किस्म की भिंडी के पौधे 120-150 सेमी लंबे और सीधे होते हैं।

भिंडी की खेती की सम्पूर्ण जानकारी

भिंडी की खेती की सम्पूर्ण जानकारी

सब्जियों में भिंडी का प्रमुख स्थान है। ये सब्जी बहुत सारे पोषक तत्वों से भरपूर सब्जी है। इसको लोग लेडी फिंगर या ओकारा के नाम से भी जानते हैं। 

भिंडी में मुख्य रूप से प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवणों जैसे कैल्शियम, फास्फोरस के अतिरिक्त विटामिन 'ए', बी, 'सी', थाईमीन एवं रिबोफ्लेविन भी पाया जाता है। इसमें विटामिन ए तथा सी पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं। 

भिंडी के फल में आयोडीन की मात्रा अधिक होती है तथा भिंडी की सब्जी कब्ज रोगी के लिए विशेष गुणकारी होती है। भिंडी को कई तरह से बनाया जाता है जैसे सूखी भिंडी, आलू के साथ, प्याज के साथ इत्यादि | 

भिंडी को किसी भी तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है। भिंडी की खेती पूरे देश में की जाती है। विश्व में भारत का भिंडी उत्पादन में पहला स्थान है।

भिंडी के लिए खेत की तैयारी:

भिंडी को लगाने के लिए खेत को हैरो से कम से कम दो बार गहरी जुताई करके पाटा लगा देना चाहिए जिससे की खेत समतल हो जाये। 

इसके बाद उसमे गोबर की बनी हुई खाद डाल के मिला देना चाहिए. खेत की मिट्टी भुरभुरी और पर्याप्त नमी वाली होनी चाहिए।

खेती के लिए मौसम:

भिंडी की खेती के लिए उपयुक्त तापमान 17 से 25 डिग्री के बीच होना चाहिए। ये इसके बीज को अंकुरित करने के लिए बहुत अच्छा होता है. हालाँकि इससे ज्यादा तापमान पर भी बीज अंकुरित होता है। 

लेकिन 17 डिग्री से नीचे का तापमान होने पर बीज अंकुरित होने में दिक्कत होती है। भिंडी के लिए थोड़ा गर्म और नमी वाला मौसम ज्यादा सही रहता है। ठन्डे तापमान पर भिंडी को नहीं उगाया जा सकता है।

भिंडी की बुवाई का समय:

भिंडी को साल में दो बार उगाया जाता है - फरवरी-मार्च तथा जून-जुलाई में। अगर आपको भिंडी की फसल को व्यावसायिक रूप देना है तो आप इस तरह से इसको लगाएं की हर तीसरे सप्ताह में आप भिंडी लगाते रहें। 

ये प्रक्रिया आप फ़रवरी से जुलाई या अगस्त तक कर सकते हैं इससे आपको एक अंतराल के बाद भिंडी की फसल मिलती रहेगी। 

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भिंडी का बीज कितने दिन में अंकुरित होता है:

जब आप भिंडी को खेत में पर्याप्त नमी के साथ लगाते हैं तो इस बीज को अंकुरित होने में 7 से 10 दिन का समय लगता है। इसका समय कम या ज्यादा मौसम, बीज की गुणवत्ता ,जमीन उपजाऊ शक्ति, बीज की गहराई आदि पर निर्भर करता है। भिंडी का बीज

भिंडी की अगेती खेती कैसे करें:

गर्मी में भिंडी की बुवाई कतारों में करनी चाहिए। कतार से कतार की दूरी 40-50 सेमी एवं कतार में पौधे से पौधे की दूरी 20-25 सेमी रखनी चाहिए जिससे कि पौधे को फैलने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके। 

बीज की 2 से 3 सेमी गहरी बुआई करें। बुवाई से पहले बीजों को 3 ग्राम मेन्कोजेब कार्बेन्डाजिम प्रति किलो के हिसाब से उपचारित करना चाहिए।

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भिंडी की उन्नत किस्में:

  1. पूसा ए-4: यह भिंडी की अच्छी एवं एक उन्नत किस्म है। जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है यह प्रजाति 1995 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान , नई दिल्ली ( पूसा) द्वारा निकाली गई है। यह एफिड तथा जैसिड के प्रति सहनशील है। एफिड (माहु) एक छोटे आकर का कीट होता है ये कीड़े पत्तियों का रस चूसते हैं। 
  2. जेसिड (हरा मच्छर/फुदका) लक्षण: इस कीट के निम्फ (शिशु कीट) और प्रौढ़ (बड़ा कीट) दोनों ही अवस्था फसल को क्षति पहुँचाते हैं। यह कीट पौधों के कोमल तनों, पत्ती एवं पुष्प भागों से रस चूसकर पौधों का विकास रोक देते हैं। यह पीतरोग यैलो वेन मोजैक विषाणु रोधी है। फल मध्यम आकार के गहरे, कम लस वाले, 12-15 सेमी लंबे तथा आकर्षक होते हैं। बोने के लगभग 15 दिन बाद से फल आना शुरू हो जाते है तथा पहली तुड़ाई 45 दिनों बाद शुरु हो जाती है। इसकी औसत पैदावार ग्रीष्म में 10 टन व खरीफ में 12 टन प्रति एकड़ है।
  3. परभानी क्रान्ति: यह प्रजाति 1985 में मराठवाड़ाई कृषि विश्वविद्यालय, परभनी द्वारा निकाली गई है। इसमें ५० दिन में फल आना शुरू हो जाता है।
  4. पंजाब-7: यह प्रजाति पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना द्वारा निकाली गई है।
  5. अर्का अभय: यह प्रजाति भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बैंगलोर द्वारा निकाली गई हैं।
  6. अर्का अनामिका: यह प्रजाति भी भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बैंगलोर द्वारा निकाली गई हैं।
  7. वर्षा उपहार: जैसा नाम से विदित हो रहा है ये प्रजाति वर्षा ऋतू में सर्वाधिक उत्पादन देती है तथा इस किस्म को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा विकसित किया गया है।
  8. हिसार उन्नत: इस किस्म को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा विकसित किया गया है।
  9. वी.आर.ओ.-6: यह प्रजाति भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान,वाराणसी द्वारा 2003 में निकाली गई हैं। इसको काशी प्रगति के नाम से भी जाना जाता है।

भिंडी बीज की जानकारी:

सिंचित अवस्था में 2.5 से 3 किग्रा तथा असिंचित अवस्था में 5-7 किग्रा प्रति हेक्टेअर की आवश्यकता होती है। संकर किस्मों के लिए 5 कि.ग्रा. प्रति हेक्टर की बीजदर पर्याप्त होती है। 

भिंडी के बीज सीधे खेत में ही बोये जाते हैं। बीज बोने से पहले खेत को तैयार करने के लिये 2-3 बार जुताई करनी चाहिए।

किसान भाई लाल भिंडी के औषधीय गुणों की वजह से इसकी खेती कर मोटा मुनाफा कमा सकते हैं

किसान भाई लाल भिंडी के औषधीय गुणों की वजह से इसकी खेती कर मोटा मुनाफा कमा सकते हैं

कृषक भाई लाल भिंडी की खेती कर बेहतरीन आमदनी कर सकते हैं। इसका फायदा औषधियों में भी किया जाता है। भिंडी की सब्जी का स्वाद अधिकतर लोगों को काफी भाता है। 

परंतु, वर्तमान में किसान भाई हरी भिंडी के स्थान पर लाल भिंडी की खेती कर बेहतरीन मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। एक एकड़ भूमि में लाल भिंडी 40 से लेकर 45 दिन में पकने लग जाती है, जो 40 से लेकर 45 क्विंटल तक पैदावार देती है। इस भिंडी का स्वाद भी सामान्य भिंडी से बेहद अच्छा होता है। 

आगे इस लेख में हम बात करेंगे लाल भिंडी के कुछ मुख्य गुणों के बारे में। साथ ही, किसान भाई इससे हरी भिंडी की तुलना में कितना मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। हरी भिंडी के मुकाबले में लाल भिंडी काफी ज्यादा फायदेमंद होती है। 

साथ ही, इसकी फसल आम भिंडी की अपेक्षा में शीघ्रता से खड़ी हो जाती है। लाल भिंडी की फसल से मोटी आमदनी करने के लिए इस प्रकार फसल की बिजाई करें। 

बतादें, कि लागत एवं कमाई लाल भिंडी के औषधीय गुणों की वजह से बड़े-बड़े शहरों में इसकी मांग बनी रहती है। लाल भिंडी के एक किलो बीज 2400 रुपये तक की कीमत में मिलते हैं, जो आधा एकड़ भूमि में बोया जा सकता है। 

लाल भिंडी की तुलना में हरी भिंडी की कीमत पांच से सात गुना ज्यादा होती है। 250 से 300 ग्राम लाल भिंडी का भाव 300-400 रुपये तक होता है। परंतु, हरी भिंडी 40 से 60 रुपये प्रति किलो बेची जाती है।

लाल भिंडी में अद्भुत गुण क्या-क्या हैं

  • लाल भिंडी की एक खासियत यह है कि वह हरी भिंडी से ज्यादा जल्दी पककर तैयार होते हैं।
  • लाल भिंडी भोजन का जायका और स्वाद बढ़ाता है तथा औषधियों में भी उपयोग होता है।
  • लाल भिंडी की फसल में कीड़े एवं बीमारियां लगने की काफी कम संभावना होती है, इस वजह से कीटनाशकों का खर्चा भी कम होता है।
  • एक एकड़ जमीन में 40 से 45 दिन में लाल भिंडी पकने लगती हैं, जो 40 से 45 क्विंटल उपज देती है।
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लाल भिंडी शुगर लेवल को नियंत्रण में रखती है

जानकारों का कहना है, कि स्वाद में यह हरी भिंडी के जैसी ही होती है। इसमें हरा, काला, लाल सभी तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं। इस भिंडी में अलग से एक जीन डालने की वजह से इसका रंग लाल हो गया। 

बतादें, कि इसमें क्रूड फाइबर होता है, जिससे शुगर लेवल नियंत्रण में रहता है। इस सब्जी के अंदर बीकम्पलेक्स भी भरपूर मात्रा में होती है।

जायद सीजन में लाल भिंडी की खेती आपको मालामाल बना सकती है

जायद सीजन में लाल भिंडी की खेती आपको मालामाल बना सकती है

भिंडी की सब्जी का सेवन करना बहुत सारे लोगों को काफी प्रिय होता है। यही वजह है, कि मंडियों में इसका अच्छा भाव मिलता है। क्योंकि कुछ लोग इसकी सूखी सब्जी बनाते हैं तो कुछ भरवां भिंडी खाना पसंद करते हैं। 

ऐसा कहना गलत नहीं होगा की यह एक लोकप्रिय सब्जी है। आपने भी कभी न कभी भिंडी की सब्जी अवश्य खाई होगी। जब भी भिंडी की बात होती है, तो हमारे मन में हरे रंग की भिंडी का विचार आता है। परंतु, क्या आप जानते हैं, कि भिंडी केवल हरी नहीं, बल्कि लाल रंग की भी होती है। 

जी हां, हरी भिंडी की भांति लाल भिंडी भी खाने में बेहद स्वादिष्ट होती है। हालांकि, लाल भिंडी की कीमत हरी भिंडी से अधिक होती है। इन दिनों बहुत सारे किसान भाई लाल भिंडी की खेती कर इससे मोटा मुनाफा अर्जित कर रहे हैं। ऐसे में आज हम आपको लाल भिंडी की खेती के बारे में बताऐंगे। 

लाल भिंडी की दो उन्नत किस्में 

वर्तमान में लाल भिंडी की केवल दो ही उन्नत किस्में विकसित हुई हैं। साथ ही, किसान इन किस्मों की खेती करके मोटा लाभ उठा रहे हैं। इनमें, आजाद कृष्णा और काशी लालिमा शामिल हैं।

किसान भाई घर बैठे इस प्रकार मंगवाएं बीज

अगर किसान लाल भिंडी की उन्नत किस्म 'काशी लालिमा' और 'आजाद कृष्णा' का बीज घर पर पाना चाहते हैं, तो घर बैठे ऐसा कर सकते हैं। दरअसल, इसके लिए किसान राष्ट्रीय बीज निगम (National Seeds Corporation) की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। 

दरअसल, किसानों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय बीज निगम भिंडी की उन्नत किस्मों के बीज ऑनलाइन बेच रहा है। इनके बीजों को आप ओएनडीसी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद सकते हैं।

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यहां किसानों को विभिन्न अन्य प्रकार की फसलों के बीज भी सुगमता से मिल जाऐंगे। किसान इसको ऑनलाइन माध्यम से ऑर्डर करके अपने घर पर डिलीवरी करवा सकते हैं। फिलहाल, राष्ट्रीय बीज निगम भिंडी के बीजों की खरीद पर काफी भारी अनुदान दे रहा है। 

अगर आप लाल भिंडी की प्रजाति 'काशी लालिमा' खरीदना चाहते हैं, तो इसके बीज का 100 ग्राम का पैकेट 40 फीसदी की छूट के साथ मात्र 45 रुपये में मिल रहा है। 

काशी लालिमा और आजाद कृष्णा किस्मों की विशेषताऐं ?

काशी लालिमा: काशी लालिमा किस्म की लाल भिंडी की खेती रबी और खरीफ दोनों सीजन में सुगमता से की जा सकती है। हालांकि, इसके लिए आपको बीज खरीदते समय यह ध्यान देना पड़ेगा कि वह किस सीजन के बीज हैं। 

किसान जिस खेत में भी भिंडी की खेती करें, उसमें ध्यान रखें कि पानी ना रुके, वरना पौधे खराब हो सकते हैं। इस किस्म की फसल शीघ्रता से तैयार हो जाती है और ज्यादा समय तक फल प्रदान करती है। इसमें 45-50 दिन में ही फल मिलने चालू हो जाते हैं और लगभग 6 महीने तक मिलते रहते हैं।

आजाद कृष्णा: आजाद कृष्णा भिंडी का उत्पादन 80 से 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है। एंटीऑक्सीडेंट व एंथोसाइनिन होने की वजह से यह स्वास्थ्य के लिए तो लाभदायक होती ही है। 

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साथ ही, इसके सूखने के बाद गुड़ साफ करने में भी इसका उपयोग किया जा सकता है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस किस्म की फसल भी काफी शीघ्रता से तैयार हो जाती है। इसके पौधे की ऊँचांई 100-125 सेमी तक होती है। गर्मयों में ये किस्म 40-45 तथा बरसात के दौरान 50-55 दिनों में उपज देना प्रारंभ कर देती है।

लाल भिंडी के क्या-क्या फायदे हैं ?

लाल भिंडी की कीमत हरी भिंडी से ज्यादा होती है। केवल इतना ही नहीं लाल भिंडी में हरी भिंडी से ज्यादा पौष्टिकता विघमान रहती है। लाल भिंडी स्वास्थ्य के लिए भी बेहद उपयुक्त है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और आयरन होता है। 

इसका सेवन करने से बहुत सारी बीमारियों से छुटकारा मिलता है। लाल भिंडी से लोगों को मधुमेह और दिल से जुड़ी बिमारियों में भी फायदा पहुंचता है। इसी वजह से लाल भिंडी की बाजार में खूब मांग रहती है।

किसानों ने इस योजना के अंतर्गत उगाई भिंडी की नई किस्म, इस तरह बढ़ाई आमदनी

किसानों ने इस योजना के अंतर्गत उगाई भिंडी की नई किस्म, इस तरह बढ़ाई आमदनी

आज के समय में किसान काफी जागरूक हो गए हैं। राजस्थान राज्य के राजसमंद जनपद में किसानों द्वारा DMFT योजना के अंतर्गत संकर भिंडी उत्पादित की जाती है। विशेष बात यह है, कि जनपद में समकुल 250 किसानों ने संकर भिंडी का उत्पादन किया है। भिंडी के अंदर विटामिन्स प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से शरीर को विभिन्न प्रकार की विटामिन्स एवं पोषक तत्व अर्जित होते हैं। यही कारण है, कि बीमार होने की स्थिति में डॉक्टर भी रोगी को भिंडी की सब्जी का सेवन करने की राय देते हैं। हालाँकि, बाजार में सदैव भिंडी उपलब्ध होती है। परंतु, गर्मी के मौसम में इसकी पैदावार बेहद ज्यादा होती है। इसकी वजह से ही इसकी कीमत में गिरावट आ जाती है। इसी मध्य खबर सामने आई है, कि किसानों ने एक ऐसी संकर भिंड़ी का उत्पादन किया है, जिससे उनको काफी अच्छा उत्पादन मिलने की संभावना है। राजस्थान के राजसमंद जनपद के किसान भाइयों ने यह सफलता हांसिल की है। किसानों ने DMFT योजना के अंतर्गत संकर भिंडी का उत्पादन किया है। विशेष बात यह है, कि जनपद में समकुल 250 किसानों ने संकर भिंडी की खेती की है। तो उधर कृषि अधिकारी आमेट रक्षा पारीक का कहना है, कि किसानों के खेत में उत्पादित की गई भिंडी का परीक्षण सफलतापूर्वक रहा है।

35 किलो भिंडी विक्रय से 1400 रुपये की आय हुई

विशेष बात यह है, कि इस संकर भिंडी को काफी कम जल की आवश्यकता होती है। किसानों ने बूंद- बूंद कर के सिंचाई करने की तकनीक से इस संकर भिंडी की खेती संपन्न की है। वर्तमान, समस्त किसानों के खेत में भिंडी की फसल लहलहाती दिख रही है। किसानों को यह आशा है, कि यदि मौसम ने उनका साथ दिया, तो वह भिंडी का अच्छा-खासा उत्पादन ले सकते हैं। हालांकि, एक किसान का कहना है, कि अब तक मैं 35 किलो भिंडी बेच चुका हूं, जिससे 1400 रुपये की आमदनी हुई है।

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किसानों की आय में होगा इतना इजाफा

बतादें, कि बाजार में भिंडी फिलहाल 80 से 100 रुपये किलो बेचा रहा है। अगर एक किसान पूरे सीजन में 100 किलो भिंडी बेचता है, तब उसको हाल ही की कीमत के हिसाब से 8 से 10 हजार रुपये तक की आमदनी हो सकती है। भिंडी की सर्वोच्च विशेषता यह है, कि इसकी फसल बारिश के मौसम में भी खराब नहीं होती है। वैसे तो बारिश होने पर शिमला मिर्च, तोरई, लौकी, खीरा और ककड़ी सहित ज्यादातर सब्जियों के पौधे खराब हो जाते हैं। परंतु, भिंडी पर कुछ भी प्रभाव नहीं पड़ता है। जितनी ज्यादा बारिश होती है, भिंडी का पौधा भी उतनी ही तीव्र गति से बढ़ती है। इससे पैदावार में भी इजाफा हो जाता है।

भिंड़ी की खेती में कितने समयांतराल पर सिचांई की आवश्यकता होती है

बतादें, कि भिंडी की खेती में 10 से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करने की आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में इस प्रजाति की भिंडी की खेती करने वाले किसानों को सिंचाई पर आने वाली लागत से भी राहत मिलेगी। साथ ही, भिंडी को बाकी फसलों के तुलनात्मक खरपतवार भी कम हानि पहुंचाते हैं। हालांकि, इसके उपरांत भी किसानों को खरपतवार की सफाई अवश्य करनी चाहिए।
इन सब्जियों की खेती से किसान कम खर्चा व कम समय में अधिक आमदनी कर सकते हैं

इन सब्जियों की खेती से किसान कम खर्चा व कम समय में अधिक आमदनी कर सकते हैं

आज के समय में किसान भाई बागवानी की तरफ ज्यादा रुख कर रहे हैं। बतादें, कि पालक, राजमा, करेला और भिंडी की खेती करके कम वक्त में अधिक आमदनी अर्जित कर सकते हैं। ये सब्जियां लगभग 50 से 100 दिन की समयावधि में ही उत्पादित हो जाती हैं। ​यदि आप भी खेती किसानी किया करते हैं, तो यह खबर आपके लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकती है। आज हम आपको इस लेख में बताएंगे ऐसी 5 सब्जियों की खेती के विषय में जिनका उत्पादन कर आप पूरे माह में हजारों-लाखों रुपये की आमदनी कर सकते हैं। अब जानते हैं उन सब्जियों के बारे में जो किसानों को अच्छी-खासी आमदनी करा सकती हैं।

भिंडी की सब्जी

किसान भाई यदि प्रत्येक सब्जी में भिंड़ी का ही उत्पादन करता है तो वह निश्चित रूप से अच्छी-खासी आमदनी कर सकता है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि भिंडी की फसल की बुवाई के मात्र 50 दिन के बाद तैयार हो जाती हैं। भिंडी की बुवाई करने में करीब 20 से 25 हजार रुपए लग जाते जाते हैं। इससे किसान करीब 80 क्विंटल तक की पैदावार हांसिल कर सकते हैं। वर्तमान में बाजार के अंदर भिंडी का भाव तीन हजार रूपए प्रति क्विंटल चल रहा है। यदि किसान 80 क्विंटल भिंडी का उत्पादन करता है। तब वह उससे लगभग 2 लाख रुपए तक का मुनाफा उठा सकते हैं।

पालक की सब्जी

बतादें, कि पालक की बुवाई किसान भाई तीन सीजन में कर सकते हैं। पालक की खेती के लिए किसी विशेष मृदा की आवश्यकता नहीं होती है। 17 हजार रुपये में लगभग 1 एकड़ भूमि में खेती हो सकती है। इससे लगभग 100 क्विंटल तक पैदावार मिलती है। बाजार में किसानों को इसके लिए औसतन 5 रुपये प्रति किलो का भाव प्राप्त होता है। पालक की खेती करने से किसान भाई काफी कम समय में करीब 50 हजार रुपये की आय कर सकते हैं।

राजमा की सब्जी

राजमा की फसल करीब 100 से भी कम दिन में पककर तैयार हो जाती है। 10 से 12 क्विंटल राजमा की पैदावार के लिए किसान भाइयों को लगभग 1 एकड़ में उत्पादन करना होता है। राजमा की फसल की कीमत बाजार में बेहद अच्छी है। किसानों को 1 क्विंटल राजमा की कीमत लगभग 11-12 हजार मिलती है। अब ऐसी स्थिति में वह लगभग 35 हजार रुपये लगाकर 1 लाख रुपये से ज्यादा उठा सकते हैं। ये भी पढ़े: गर्मियों के मौसम में ऐसे करें करेले की खेती, होगा ज्यादा मुनाफा

करेला की सब्जी

किसान भाई करेला की खेती करके अच्छी-खासी कमाई कर सकते हैं। दरअसल, करेला की फसल 50 से 55 दिन के अंदर तैयार हो जाती है। एक एकड़ खेती में लगभग 55 हजार रुपये का खर्चा होता है। इसमें लगभग 100 क्विंटल करेला की पैदावार हो जाती है। बाजार में भी इसकी अच्छी-खासी कीमत होती है। किसान कुछ ही दिनों के अंदर एक- से डेढ़ लाख रुपये तक की आमदनी कर सकते हैं।